69.. Muskura lete hain...

ये तो अच्छा है कि मुस्कुरा लेते हैं,
दिल का दर्द आँखों में छुपा लेते हैं।
जब तन्हाई हमारी हद से बढ़ जाती है,
तेरी यादों से हमारी महफ़िल सज़ा लेते हैं।।

मदमस्त होते हैं जब भीड़ में होते हैं हम,
तन्हाई में दिखावे का चोला हटा लेते हैं।
ऐसा नहीं कि मेरा , कोई दोस्त नहीं लेकिन,
अपने दर्द अपने आईने को बता लेते हैं।।
सब्र का बाँध जब टूट तो जाता है कभी,
हम अपने ग़मों के सैलाब का मज़ा लेते हैं।
सबको नसीब ने बांटा है कुछ न कुछ,
उन्हें फूल मुबारक हम कांटों से काम चला लेते हैं।।

अरमान कभी दिल में जब टूट कर बिखरते हैं,
थोड़ी ज़्यादा मुस्कुराहट होंठो पे सजा लेते हैं।
मिलती हैं नज़रें जब उनकी बेरुखी से मेरी,
अपनी आंखों पे पलकों का पर्दा गिरा लेते हैं।।



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