29. बाकी बचा कुछ भी नहीं 🐼


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🐰🐼....
ज़िन्दगी शिकायत है तुझसे,क्यू बेरहम है कभी कभी।
किसी को दिया सबकुछ दिया,किसी को दिया कुछ भी नहीं।

किसी के पास उजाले हैं,कोई अंधेरों में तड़प रहा।
मेरे लिए क्या तेरे पास हौसला कुछ भी नहीं।

हम भी थे कतार में,जब बट रही थी चांदनी।
मिलने वाला था आसमां , और मिला कुछ भी नहीं।

🐼🐰...........

 

 



🐼🐰....
गुम हो गया रास्ता, चलते चलते जाने कहां।
खो गई सब मंजिलें, अब बचा कुछ भी नहीं।

कुछ ख्वाहिशें अधुरी सी, अंजाम को तरस रहीं,
होने को बहुत कुछ था,और हुआ कुछ भी नहीं।

यूं तो हम दरिया में थे,फिर भी प्यासे ही रहे।
हमने बहुत कुछ देखा है, ये सिलसिला कुछ भी नहीं।




🐰🐼......
क्यू सताए ज़िंदगी,इस क़दर तू बार बार।
जाने क्यूं खफा है तू, हमने किया कुछ भी नहीं।

क्यू लाऊ शब्दों को, एहसासों के दर्मियान।
इतना वो मेरे क़रीब है, कि फासला कुछ भी नहीं।

शब्द मेरे होंठो तक,आते आते रुक गए।
कहने को बहुत कुछ था, हमने कहा कुछ भी नहीं।

किसी रात ए जिंदगी,चैन से सुला दे मुझे।
बेचैनी और दर्द के सिवा, दिया कुछ भी नहीं।

    

                 ---------------------------THE END---------------------


 

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