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मालूम था नहीं आओगे ,
फिर भी ना जाने क्यों?
बार बार दहलीज पर,
निहारती रही नजर।
कुछ पल की ही तो दूरी थी,
फिर भी ना रह पाए हम।
इश्क़ में जुदाई का,
कुछ ऐसा हुआ असर।
टूट रहा था दिल ही दिल में,
कुछ तो कहीं चुपके से,
चेहरा छुपाए डरते रहे।
हो ना जाए किसी को खबर।
राह तेरी तकते तकते,
आंखें खामोश ना हो जाए।
सांसें तो होंगी मगर।
हम ना होंगे,तुम ना आए अगर,
हम कहीं ना होंगे तुम ना आए।
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