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मेरी ज़िंदगी मे तड़पना,
कुछ इस तरह लिखा ख़ुदा ने।
कभी तुम्हारे साथ रह कर तड़पे,
कभी तुम से दूर रह कर।
और इन्तज़ार की हद भी,
यूं मुक़र्रर की ख़ुदा ने।
कभी इंतज़ार था तुझे पाने का,
कभी इन्तज़ार है तेरे आने का।
अजीब मंच है ये दुनिया,
जहाँ भेजा हमको ख़ुदा ने।
वो आसमान में बैठा ,
क्या सोचता होगा।
कभी मायूस होता होगा,
कभी रोता होगा।
मुझे देख कर ,
ख़ुश तो नहीं होता होगा।
THE END..
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