मेरी बेबसी को नासमझी का नाम दे दिया,
हां हूँ थोड़ी सी नासमझ लेकिन,
THE END..
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मेरी फ़िकरों को दिल्लगी का नाम दे दिया।
कोई समझा ही कहाँ, मेरी बेचैनीयों को,
मेरी बेक़रारी को, खुदगर्ज़ी का नाम दे दिया।
तमाम रातें जिसे देखने का ,
अरमान लिए जागे,
मेरी नींदों के ख़ालीपन को,
मनमर्ज़ी का नाम दे दिया।
हां मैं बहुत बोलने लगी थी,
ये मेने तब जाना,
जब उसने मेरी शिकायतों को ,
बेरुख़ी का नाम दे दिया।
हां हूँ थोड़ी सी नासमझ लेकिन,
मुहब्बत उस से बेइंतहा की ,
उसने अपनी इज़हारे शिकायत,
को ख़ामोशी का नाम दे दिया।
वो कहता है मैं छोड़ दूं उसे तन्हा,
मेरे साथ को उसने,
मजबूरी का नाम दे दिया।
वो भले मेरा न हो ,
मैं तो लेकिन उसी की हूँ
क्या हुआ जो उसने मुझे,
फ़रेबी का नाम दे दिया।
है दुआ वो बस खुश रहे,
ग़म नही इस बात का,
उसने मेरी मोहब्बत को,
THE END..
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