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खुशी आते आते रह गई,
जो मिला वो जरूरी न था,
जो जरूरी था वो मिला नहीं।
कैसे तमाशा बने रहे ,
हम अपनी तकदीरों में।
शायद मेरा ही दोष है,
ज़िन्दगी से गिला नहीं।
कश्ती के होते हुए भी,
रहे हम मझदार में।
ये बात बहुत पुरानी है,
कोई नया सिलसिला नहीं।
हम हिले दिल हिला ,
हमारा वजूद हिल गया,
ना कहीं ज़मीन हिली,
कोई पर्वत हिला नहीं।
THE END
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