4. कुछ बाकी है...

तेरे दिल की दहलीज़ पर
दस्तक़ तो दे चुके हम
बस तेरे ज़ेहन के
गलियारों से गुजरना बाकी है||

मैं क्यूँ खयाल करूं
अपने चेहरे की रंगत का
अभी तो तेरे इश्क़ में
संवरना बाकी है।।


तमाम रात तेरी याद में काटी हमने
किस से कहते कि दर्द कितना बाकी है!


और...............
वो इश्क़ ही क्या जिसमे
अश्क़ों की बयानगीं न हो
कुछ तो हो, जो रह जाये.. , की कहना बाकी है!


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