9. "वो खूबसूरत बचपन..."

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आओ फिर से लौट चलें,
उस खूबसूरत बचपन में।
रंग बिरंगी तितली पकड़ें,
फिर से भींगे सावन में।।


कश्ती कागज़ कि फिर से बना लें,
थाम के डोरी पतंग उड़ा लें।
दौड़ें कटती पतंग के पीछे,
थाम लें उसको दामन में।।
आओ फिर से लौट चलें,
उस खूबसूरत बचपन में.........।


नीम के पेड़ पे डालें झूला,
फिर से चुरायें ग़ुलाब की कली।
लूका-छुपी के खेल सँजोए
झूला झूलें आँगन में।।
आओ फिर से लौट चलें,
उस खूबसूरत बचपन में.........।

नानी की सुने कहानियां,
नाना से पैसे मांग लें।
शादी कराएँ गुड़ियों की,
मन हो न किसी भी उलझन में।।
आओ फिर से लौट चलें,
उस खूबसूरत बचपन में..........।

करें शिकायत सबकी माँ से,
खुश हों थपकी लगवा के।।
दिल मे कोई मैल नहीं,
मज़ा है लेकिन अनबन में।।
आओ फिर से लौट चलें,
उस खूबसूरत बचपन में..........।


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8. कहाँ है बचपन...??

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धुँआ ही धुँआ है जहाँ देखती हूँ
पता ही नही मैं कहाँ देखती हूँ!!
वो गुड़ियों का घर राजा-रानी की शादी
एक गुज़रा हुआ कारवाँ देखती हूँ।।

 
डूब गई कश्तियाँ कागज़ की,
वो खेल खिलौने टूट गए..l
जहां एक प्यारा सा पेड़ था नीम का,
वहाँ कारखानों का धुआँ देखती हूँ।।


बिछड़ गया वो लड़ना झगड़ना,
मज़े लेना शिक़ायत करना

 ज़ुबाँ पे मीठास दिल मे नफ़रत लिए,
भीड़ में हर इंसां देखती हूँ।।


फूल कली मिट्टी और ख़ुशबू,
बाहें फैलाये कर रहे गुहार
नन्ही-नन्ही मासूमियत को,
देते हुए इन्तहां देखती हूँ।।


नानी की कहानियाँ अब नही रही,
न खेत, खलिहान, मैदान रहे 

छीन लिया बचपन चुपके से जिसने
हर जगह मशीनी ज़ुबाँ देखती हूँ।।


वो तुतलाती ज़ुबाँ से कहानी सुनाना,
वो पतंग के पीछे दौड़ के जाना

कुछ न बचा है पहले के जैसा ,
बस क़दमों के निशाँ देखती हूँ।।।




बच्चे बचपन को तरस रहे ,
खो रही उनकी मासूमियत

बारिश की बूंदें रो रही ,
मैं उनका अश्क़-ए-बयाँ देखती हूँ।


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7. कहानियाँ यूँ ही नही बनती..

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कहानियाँ यूँ ही नही बनती
कई अरमान बिखर जाते हैं
अक्सर लोग दिल में उतरकर
 दिल से उतर जाते हैं।।

कभी कभी पिघलती मोम सी
हो जाती है जिंदगी.........
किसी एक दिल के जलने से
कई दिल सँवर जाते हैं।।।

 

जो परिंदे खानाबदोश से
आ गए हों ग़ैर की महफ़िल में
वो फिर वहीं के हो जाते हैं
वो कहाँ अपने घर जाते हैं।।।।
 

कभी कहीं दोस्ती में
किसी को आज़मा मत लेना
दिल में पलने वाले जज़्बात
चुपके से मर जाते हैं।।।।।
 

ले लेते दामन में अपने

छुपा के रखते पलकों में
लेकिन हमको पता नहीं
टूटते तारे किधर जाते हैं।।।

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6. तुम मेरी ही तरह हो..

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तन्हाईयों में मुझे सोचोगे,
बेचैन रहोगे आहें भरोगे
 तुम मेरी ही तरह हो...



ज़ुबाँ पे बात आते-आते रुकेगी
बात बदलकर शिकायत करोगे
तुम मेरी ही तरह हो...




रात में चाँद को देखोगे
तारों से मेरी शिक़ायत करोगे
तुम मेरी ही तरह हो...



बनोगे नादान की इश्क़ हम क्या जाने
लेकिन........
छूप कर मेरी तस्वीर से मोहब्बत करोगे
तुम मेरी ही तरह हो...




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5. mere jazbaat to hawaon me hain🕊️🌿🌼🌱♥️

जो अपने दिल-ए-हालात न बोल पाए
वो किधर जाएगा!?
कोई समझ लिया तो ठीक
वरना मर जाएगा।।

रोएगा दिल ऑंखें मुस्कुरा रही होंगी
न जाने कब दिल तक दिल का असर जाएगा!!?

मेहरबान हो जाये कुदरत ऐसा क़म ही होता है
मेरे जज़्बात तो हवाओं में है लेकिन
मौसम बच  कर किधर जाएगा!???


बड़े लाज़वाब हैं मेरे ग़म भी मुझमे सिमटे हुवे से
मेरे साथ ही मेरे अकेलेपन का समंदर जाएगा।।


दौड़ती भागती सी ज़िन्दगी में
दो पल ख़ुद में झांक कर देखो
एक अच्छा दोस्त मिल जाएगा
और वक़्त ठहर जाएगा।।।


☆★★★★★★★★★★★★★★★★★★★◆◆●
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4. कुछ बाकी है...

तेरे दिल की दहलीज़ पर
दस्तक़ तो दे चुके हम
बस तेरे ज़ेहन के
गलियारों से गुजरना बाकी है||

मैं क्यूँ खयाल करूं
अपने चेहरे की रंगत का
अभी तो तेरे इश्क़ में
संवरना बाकी है।।


तमाम रात तेरी याद में काटी हमने
किस से कहते कि दर्द कितना बाकी है!


और...............
वो इश्क़ ही क्या जिसमे
अश्क़ों की बयानगीं न हो
कुछ तो हो, जो रह जाये.. , की कहना बाकी है!


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3. वही तो मैं हूँ।।

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कोई मुझमे मुझसा ही रहता है...
सोचता कुछ और है, 
कुछ और ही कहता है।
  
नहीं होता मज़बूर वो
मज़बूर तो मैं ही होती हूं
फिर भी वो मुझसे ख़फ़ा-खफ़ा ही रहता है|||

              सुनता भी सब है, समझता भी सब,
               मेरी हर बात से वक़ीफ है,
               न जाने क्यों फिर भी तक़रार है,
               ये रिश्ता यूं उलझा ही रहता है।।

                  कभी गिले उसको मुझसे
                   कभी मुझे उस से शिकायत,
                   लड़ाई जारी रहती है,
                   दर्द दबा ही रहता है।।।।


रिश्तों की ज़िमेदारी मुझपे,
वो आज़ाद है,
बर्बाद परेशान मैं, वो आबाद है।।


उस से कोई शिकायत नहीं
बस इतना ही कहना है,
वही तो मैं हूँ जो मैं,मुझमे
कहीं छुपा ही रहता है।।


 

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1. zindagi sikha rahi....🕊️🌿🌼🌱🌱♥️

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कुछ परेशानियों ने सिखाया कुछ नादानियों ने सिखाया
कुछ सच ने सिखाया कुछ कहानियों ने सिखाया.....



ईमानदारों ने सिखाया कुछ बेईमानों ने सिखाया
कुछ वक़्त की निशानियों ने सिखाया
कुछ अपनों की मेहरबानियों ने सिखाया।।।

सीखा कुछ न कुछ हर आदमी से
सीखा बहुत कुछ इस ज़िन्दगी से
सिखने का सफ़र अब भी ज़ारी है
न जाने सिखाने की अब किसकी बारी है!!!



मेरी कश्ती ने लंबा सफ़र तय किया तन्हा
बाक़ी का सफ़र साथ-साथ करते हैं
कुछ तुम मुझ तक आओ
कुछ मैं तुम तक आऊँ
चलो ज़िन्दगी की नई शुरुआत करते हैं।।।




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