15. हर मौसम में साथ-साथ..

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सफ़र ज़िन्दगी का कट रहा,
थाम के एक-दूजे का हाथ।
सर्दी-गर्मी-बरसात
हर मौसम साथ-साथ।।


कभी ग़ुलाबी सरदी में,
चादर में छुप के झांकना।
कभी पसीना तर-बतर,
धूप में सुख-दुख बाँटना।।
कभी बारिशें रिमझिम सी,
ले कर आई दिल के जज़बात।
सर्दी-गर्मी..................


कभी ग़मों की आंधी में,
छुप के रोये सारी रात।
कभी खुशी के लम्हों में,
लगे ठहाके और कितनी बात!
आते जाते मौसम में,
साथ बिताए हर हालात।
सर्दी- गर्मी...................


कभी-कभी मै चाँदनी ,
कभी सूरज के जैसा तू।
जब-जब तुझमे बिखरी मैं,
तब-तब मुझमें डूबा तू।
आओ भूल के रंज-ओ-ग़म,
करें एक नई शुरुआत।
सर्दी-गर्मी.....................



कभी मोहब्बत की कसमें,
गवाह सितारों की बारात।
मेरे दिल की धड़कन तू,
और मैं तेरी क़ायनात।
मेरा क़ीमती ज़ेवर तू,
तेरी क़ीमती मैं सौगात।
सर्दी-गर्मी बरसात,
हर मौसम देखा साथ-साथ।।।।।


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